हालातों को देख अब जीना सीख सा गया हूँ। हालातों को देख अब जीना सीख सा गया हूँ।
इश्क़ बस नाम की थी, ना कोई शिकायतें। इश्क़ बस नाम की थी, ना कोई शिकायतें।
इसे किसी पहचान कि कोई ज़रुरत ही नहीं होता हैं। इसे किसी पहचान कि कोई ज़रुरत ही नहीं होता हैं।
व्याकरण के बन्धनों से हटकर भी कविता का एक जीवन है। उसी का दर्शन आप यहाँ कर पाएंगे। कविता की कहानी कु... व्याकरण के बन्धनों से हटकर भी कविता का एक जीवन है। उसी का दर्शन आप यहाँ कर पाएंग...
इन मासूमों ने भी अपने नन्हें कोमल पैरों को और जहरीले पौधों से उधार लेकर अपने रंगीन पंखों को बना लि... इन मासूमों ने भी अपने नन्हें कोमल पैरों को और जहरीले पौधों से उधार लेकर अपने रंग...
इस/जंगल के/दरख्तों से/क्यों पूछते हो/खैरियत----। इस/जंगल के/दरख्तों से/क्यों पूछते हो/खैरियत----।